To learn new things from other you need to be a STARTER.....
To learn new things from self you need to be a SELF-STARTER.....
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Thursday, February 11, 2010
माता-पिता
"चारो धाम आपके पास हैं,
यदि माँ-बाप आपके साथ हैं,
माँ-बाप का साथ अच्छा होता है,
आशीष उनका सदा हमारे साथ होता है"
यदि माँ-बाप आपके साथ हैं,
माँ-बाप का साथ अच्छा होता है,
आशीष उनका सदा हमारे साथ होता है"
स्वतंत्रता दिवस
"आजाद हिंदुस्तान के आजाद पंछी है हम,
अभिमान और गर्व से भरे हुए हैं हम,
नतमस्तक कर शूरवीरों को कर रहा हूँ नमन,
हिंदुस्तान से कह रहा हूँ, ऐ मेरे प्यारे वतन || "
अभिमान और गर्व से भरे हुए हैं हम,
नतमस्तक कर शूरवीरों को कर रहा हूँ नमन,
हिंदुस्तान से कह रहा हूँ, ऐ मेरे प्यारे वतन || "
Wednesday, February 10, 2010
"पहली बर्फ"
"पांच दिसम्बर दो हजार नो को,
दोपहर के पौने दो को,
टिप टिप बारिश शुरू हुई,
और फिर पहली बर्फ शुरू हुई,
प्रकृति का नजारा वो दर्शनीय था,
पहली बार बर्फ होते देख में हर्षित था,
कुछ चित्र लिए मेने स्मृति के लिए,
वो पहली बर्फ थी मेरे लिए,
आलू की टिक्की और छोले का संग था,
हरियाली को बर्फ का रंग था,
वो पहली बर्फ का अहसास अलग था,
मेरे लिए वो पहला बर्फ था,
फिजा में एक अलग महक थी,
वो अविस्मरनीय पहली बर्फ थी,
बर्फ की बोछारों को "विशु" का भी संग था,
क्योंकि वो "विशु" का पहला बर्फ था"
दोपहर के पौने दो को,
टिप टिप बारिश शुरू हुई,
और फिर पहली बर्फ शुरू हुई,
प्रकृति का नजारा वो दर्शनीय था,
पहली बार बर्फ होते देख में हर्षित था,
कुछ चित्र लिए मेने स्मृति के लिए,
वो पहली बर्फ थी मेरे लिए,
आलू की टिक्की और छोले का संग था,
हरियाली को बर्फ का रंग था,
वो पहली बर्फ का अहसास अलग था,
मेरे लिए वो पहला बर्फ था,
फिजा में एक अलग महक थी,
वो अविस्मरनीय पहली बर्फ थी,
बर्फ की बोछारों को "विशु" का भी संग था,
क्योंकि वो "विशु" का पहला बर्फ था"
हरिहरेश्वर यात्रा
"मुंबई से चला था एक काफिला,
करने निकला था बहुत धमाला,
मंदिर, पर्वत, सागर किनारे,
सबने किया बहुत मजियाला,
हरेश्वर एकदंत की हमने करी उपासना,
कविता के संगीत से था सजा सफराना,
कई विषयों की बात से हुए हम मनीषी,
दुर्गा ने भी घोली उसमे अपनी मस्ती,
शेफाली ने दिए इस तरह कई सुमीत हमे,
रहे स्मृति पर अंकित सदा ये सफ़र हमारा,
यही विशु की इश्वर से है कामना"
करने निकला था बहुत धमाला,
मंदिर, पर्वत, सागर किनारे,
सबने किया बहुत मजियाला,
हरेश्वर एकदंत की हमने करी उपासना,
कविता के संगीत से था सजा सफराना,
कई विषयों की बात से हुए हम मनीषी,
दुर्गा ने भी घोली उसमे अपनी मस्ती,
शेफाली ने दिए इस तरह कई सुमीत हमे,
रहे स्मृति पर अंकित सदा ये सफ़र हमारा,
यही विशु की इश्वर से है कामना"
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