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Wednesday, February 10, 2010

हरिहरेश्वर यात्रा

"मुंबई से चला था एक काफिला,
करने निकला था बहुत धमाला,
मंदिर, पर्वत, सागर किनारे,
सबने किया बहुत मजियाला,
हरेश्वर एकदंत की हमने करी उपासना,
कविता के संगीत से था सजा सफराना,
कई विषयों की बात से हुए हम मनीषी,
दुर्गा ने भी घोली उसमे अपनी मस्ती,
शेफाली ने दिए इस तरह कई सुमीत हमे,
रहे स्मृति पर अंकित सदा ये सफ़र हमारा,
यही विशु की इश्वर से है कामना"

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